रिश्तों की राजनीति- भाग 15
भाग 15
क्लास खत्म होते ही सान्वी कॉलेज से निकल जाती है। कॉलेज के बाहर अभिजीत सान्वी का इंतज़ार कर रहा होता है। वो चुपचाप उसकी बाइक पर बैठती है और दोनों वहाँ से निकल जाते हैं। अभिजीत बाइक पिम्पली निलख के पास वाली सुनसान सड़क पर रोक देता है।
सान्वी के चेहरे पर घबराहट और डर साफ़ दिख रहा होता है। वो समझ जाती है कि यह समय बहस करने का नहीं है और वैसे भी उसे अभिजीत से दुबारा थप्पड़ खाने की कोई इच्छा नहीं होती। वो कोई सवाल नहीं करती, चुपचाप बाइक का सहारा लेकर खड़ी हो जाती है।
अभिजीत जेब से अपना मोबाइल निकालता है और सान्वी को अक्षय का मैसेज दिखाता है। उसे अपनी आँखों पर विश्वास नहीं होता कि वो इतनी घटिया हरकत करेगा। हाँ, उसे यह उम्मीद जरूर थी कि अपना मतलब साधने के बाद वो उसे पूछेगा नहीं, लेकिन इस तरह उसके भाई को इन सब बातों के बारे में बताएगा, वो भी इस तरह से, ये उसकी सोच से बाहर था।
अभिजीत का चेहरा गुस्से से तमतमा रहा था। इससे पहले कि वो उस पर चिल्लाता, सान्वी उसके पैरों में गिरकर माफ़ी मांगने लगती है, ज़ोर-ज़ोर से रोते हुए…….दादा, मुझे माफ़ कर दे। मुझसे बहुत बड़ी भूल हो गयी, मैंने आपकी बात न मानकर अक्षय की बात पर भरोसा किया।
वो मुझे अपना फार्महाउस दिखाने के लिए करजत ले गया था। वहाँ जब उसने मेरे करीब आने की कोशिश की तो मैंने साफ़ मना कर दिया। तब उसने मुझे विश्वास दिलाने के लिए मेरी माँग में सिंदूर भर दिया और मंगलसूत्र की जगह मेरे गले में अपने नाम की चेन पहना दी।
बाद में जब मैंने उसे वापिस घर छोड़ने के लिए कहा तो उसने कहा…..जूस पीकर चलते हैं।
जूस पीते ही मेरा सिर घूमने लगा और फिर जब होश आया तो सब कुछ खत्म हो चुका था।
उस दिन के बाद से अक्षय का फोन बंद आ रहा है।
वो अभिजीत का हाथ पकड़कर कहती है ….. मैं जानती हूँ दादा, तुझे इस वक़्त मुझ पर बहुत गुस्सा आ रहा होगा, आना भी चाहिए। मैंने तेरा ही नहीं, आई बाबा का भी भरोसा तोड़ा है। ले मार मुझे थप्पड़, मैं इसी के लायक हूँ।
अभिजीत सान्वी से अपना हाथ छुड़ाते हुए कहता है…..बस कर सान्वी, छोड़ मेरा हाथ। तू इस लायक भी नहीं कि तुझ पर मैं अपना हाथ उठाऊं।
मांग भरने और गले में चेन पहनाने से शादी नहीं हो जाती। यह सब बेवकूफियाँ सिर्फ फिल्मों में होती है।
सान्वी घबराकर पूछती है….अब क्या होगा दादा, कहीं उसने ऐसा ही मैसेज आई-बाबा को भेज दिया तो?
नहीं, वो ऐसी बेवकूफी नहीं करेगा। तुझे बदनाम करने के बारे में सोचेगा तो खुद भी तो बदनाम होगा और इसकी बदनामी इसके बाप जगताप पाटिल के राजनीतिक करियर पर भारी पड़ जाएगी।
इस गलती की सजा तो उसे भुगतनी ही पड़ेगी। चल सान्वी पुलिस के पास चलते हैं और उन्हें सारा सच बता देते हैं।
नहीं दादा, पुलिस के पास जाने से कोई फायदा नहीं है। उल्टा वो लोग हमें ही गलत साबित कर देंगे। मैं पुलिस और कचहरी के दाँव-पेंच में नहीं फँसना चाहती दादा। वो बड़े लोग हैं दादा, हम उनकी बराबरी नहीं कर सकते। जब गुनाह मुझसे हुआ है तो सजा भी मैं ही भुगतुंगी। मेरी गलती है जो मैंने उस पर भरोसा किया।
मेरा मन करता है, मैं आत्महत्या कर लूँ। वो मुझसे शादी करेगा नहीं और न मेरी सच्चाई जानने के बाद मुझे कोई स्वीकारेगा। अब पूरी जिंदगी अपनी एक गलती की आग में जलना पड़ेगा मुझे।
सान्वी गलती तो तूने की है, मुझ पर विश्वास न करके। लेकिन तूने जो किया प्यार में अंधे होकर, भावनाओं में बहकर किया, पर उसने यह समझते-बूझते किया है, पूरी योजना के साथ। मैं उसे ऐसे ही जाने नहीं दूँगा, शादी तो उसे अब तुझसे करनी ही पड़ेगी।
यह असम्भव है दादा, वो तो अपना फोन बंद करके बैठा है और उसके घर के बाहर तैनात गार्ड हमें अंदर जाने नहीं देंगे।
आज अक्षय के धोखा देने के बाद मुझे एहसास हो रहा है मुझे उसके और अपने बीच का फर्क।
मुझे मेरे हाल पर छोड़ दे दादा, मेरे पीछे अपनी जिंदगी खराब मत कर।
ऐसे कैसे तुझे तेरे हाल पर छोड़ दूँ? तू मेरी एकलौती बहन है। मैं इस समस्या का हल निकाल कर ही रहूँगा, तू चिंता मत कर।
तेरा अगला कदम क्या होगा दादा?
अभी कुछ सोचा नहीं है। चल बैठ बाइक पर, घर चलते हैं। बहुत देर हो गयी है। तभी अभिजीत का फोन बजता है, शरवरी का फोन होता है।
वो उससे फोन पर शाम को मिलने का वादा कर फोन रख देता है।
सान्वी कहती है…..दादा आप शरवरी को तो नहीं बताएंगे न इस बारे में?
नहीं, यह हमारे घर की बात है, फ़िलहाल यह बात हम दोनों तक ही सीमित रहे तो अच्छा है। रही आई बाबा की बात तो इस बारे में बताकर मैं उन्हें परेशान नहीं करना चाहता। पहले मैं अपने तरीके से इस बात को सुलझा कर देखना चाहता हूँ, बाद की बाद में सोचेंगे।
वो दोनों वहाँ से घर के लिए निकल जाते हैं। घर में थोड़ा आराम करने के बाद अभिजीत शरवरी से मिलने के लिए निकल जाता है और सान्वी अपने कमरे में लेटे हुए अपनी और अभिजीत की बातचीत के बारे में सोच रही होती है। एक तरफ जहाँ अभिजीत के रवैये पर वो खुश होती है, वहीं अक्षय की घटिया हरकत पर उसे गुस्सा आ रहा होता है। उसके कानों में बार-बार अक्षय के उस मैसेज में लिखे शब्द घूम रहे होते हैं…..गंगा मैली हो चुकी है, कचरे का ढेर बन चुकी है।
वो मन ही मन अक्षय से कहती है…..गंगा अभी भी उतनी ही पवित्र है, जितनी पहले थी। हवा में ज्यादा मत उड़ अक्षय जगताप पाटिल, तेरी और तेरे बाप की लुटिया इसी गंगा में आकर डूबेगी जल्दी ही। तब तक तो इस खुशवहमी में नाच कि तूने गंगा में डुबकी लगाकर उसे मैला कर दिया है। राजनेता का बेटा होकर तू अक्ल से इतना पैदल कैसे हो गया, समझ नहीं आया। ससुर जी आपकी नैया आपके बेटे से तो पार लगने से रही, आपके राजनीतिक जीवन की नैया तो आपकी बहु सान्वी अक्षय पाटिल ही पार लगाएगी।
❤सोनिया जाधव
Rahman
24-Jul-2022 11:04 PM
Osm
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Saba Rahman
24-Jul-2022 11:38 AM
Nice 😊
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नंदिता राय
21-Jul-2022 11:43 PM
शानदार
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